टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज | 24 Best Home Remedies for Typhoid Fever in Hindi

24 Best Home Remedies for Typhoid Fever:- इस लेख में हम टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज के बारे में बताएंगे जैसा कि हम जानते हैं प्रदूषित वातावरण, दूषित खाना और जल आहार के रूप में अधिक समय तक सेवन करने से टाइफाइड बुखार हो जाता है

टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज़

टाइफाइड बुखार को मियादी बुखार ,मोतीझरा आदि नामों से भी जाना जाता है टाइफाइड बुखार से मरीज का शरीर बहुत कमजोर  हो जाता है यदि समय पर सही इलाज ना किया जाए तो मरीज की मृत्यु भी हो जाती है यहाँ पर 24 होम रेमेडीज बता रहे है जो टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज में बहुत जरुरी है टाइफाइड बुखार को और कई नाम से भी जाना जाता है जैसे – मोतीझारा ,मियादी बुखार …

टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज

अगर आप गूगल पर ढूंढ कर थक गए है की टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज किया है और आप इस लेख को पढ़ रहे है तो में उम्मीद करता हु की आप सही पोस्ट पर है मैंने बहुत रिसर्च के बाद इस पोस्ट को लिखा है जिससे की में किसी के काम में आ सकू यहाँ पर जिनते भीं इलाज में बता रहा हु बो सब टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज के लिए बहुत ही कारगर है इन्हे आप अपनाकर टाइफाइड बुखार को ठीक कर सकते है।

1. मुनक्का :

मुनक्का पर काला नमक लगाकर हल्का सा सेक कर टाइफाइड बुखार में खाने से बहुत जल्दी आराम मिलता है वैज्ञानिकों के अनुसार मुनक्का के खाने से टाइफाइड बुखार को जड़ से खत्म किया जा सकता है मुनक्का को अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए क्योंकि ज्यादा मुनक्का खाने से अतिसार हो सकता है।

मुनक्का की मात्रा 3-3 ग्राम , अड़ूसा, हरड़ को लेकर 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उसका काढ़ा बना ले फिर उसमें शहद और मिश्री को मिलाकर टाइफाइड के मरीज को पिलाने से आराम आता है।
टायफाइड बुखार होने पर तेलीय जुलाब देने से रोगी को हानि पहुंच सकती है, इसलिए 3-4 मुनक्का दूध में उबालकर पीने से रोगी की मलक्रिया में रुकावट आना आसानी से दूर हो जाती है। यह भी टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज है जोकि बहुत ही कारगर है।

2. गिलोय :

5 मिलीलीटर गिलोय के रस को थोड़े से शहद के साथ मिलाकर चाटने से टायफाइड बुखार में बहुत आराम आता है। गिलोय का काढ़ा भी शहद के साथ मिलाकर पी सकते हैं।

3. अजमोद :

शहद के साथ 3 ग्राम अजमोद का चूर्ण मरीज को सुबह और शाम चटाने से टायफाइड मरीज को आराम आता है।

4. काली तुलसी :

3-3 ग्राम की मात्रा में काली तुलसी, बनतुलसी, और पोदीना का रस निकालकर रोगी को 3 ग्राम की मात्रा में 2-3 बार पिलाने से टायफाइड में काफी लाभ होता है।

5. लौकी :

घीये (लौकी) के टुकड़ों को पैरों के तलुओं पर मलने से टायफाइड ज्वर की उष्णता कम होती है।

6. सरसों का तेल :

सरसों के तेल में सेंधानमक मिलाकर छाती पर मलने से टायफाइड रोग के कारण जमा हुआ कफ (बलगम) आसानी से निकल जाता है और खांसी कम हो जाती है। यह भी टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज है जोकि बहुत ही कारगर है।

7. मूंग की दाल :

टायफाइड ज्वर में रोगी को मूंग की दाल बनाकर देने से आराम आता है। मूंग की दाल में मिर्च, मसाले, तेल तथा घी आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।

8. चित्रक :

रूद्राक्ष के एक पीस (नग) को पानी के साथ घिसकर, 1 ग्राम चित्रक की छाल के चूर्ण में मिलाकर सेवन करने से आंत्रिक ज्वर (टायफाइड) के दाने शीघ्र ही निकल जाते हैं।

9. लौंग :

लौंग

5 से 7 लौंग को 1 से 2 लीटर पानी में उबालकर पानी आधा शेष रहने पर इस पानी को मरीज को दिन में तीन से चार बार पिलाने से टाइफाइड बुखार में लाभ मिलता है टाइफाइड बुखार में अधिक प्यास लगने पर लौंग के 5 से 7 दानों को आधा लीटर पानी में उबालकर थोड़ा-थोड़ा पानी मरीज को पिलाना चाहिए इससे टाइफाइड बुखार में आराम मिलता है यह भी टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज है जोकि बहुत ही कारगर है।

10. छोटी पीपल :

लगभग आधा ग्राम छोटी पीपल के चूर्ण के साथ शहद मिलाकर सेवन करने से आंत्रिक ज्वर (टायफाइड) में लाभ मिलता है।

11. कपूर :

लगभग आधा ग्राम कपूर या कर्पूरासव 5 से 20 बूंद की मात्रा में सेवन करने से रक्तवाहिनियों का विस्तार होता है जिससे पसीना आकर ज्वर (ताप) कम हो जाता है। कपूर को पतले कपड़े में बांधकर पानी में डुबाकर हिला देने से कर्पूराम्ब प्राप्त होता है।

12. लौंग :

आंत्रिक ज्वर (टायफाइड) की शुरुआत में रोगी को अनाज से बने खाद्य पदार्थ नहीं देने चाहिए। आंतों में जीवाणुओं का संक्रमण होने से आंतों में जख्म बन जाते हैं। रोगी को प्यास भी अधिक लगती है और अधिक पानी पीने से उल्टी होने लगती है। ऐसे पानी में 2-3 लौंग उबालकर, छानकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाना चाहिए। यह भी टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज है जोकि बहुत ही कारगर है।

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13. पीपल :

पीपल की छाल को जलाकर, पानी में बुझाकर, छानकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रोगी को पिलाने से प्यास शान्त होती है और उल्टी भी नहीं होती है।

14. खमीरा :

टायफाइड को दूर करने के लिये खमीरा चाटने से दिल की धड़कन सामान्य होती है।

15. कपूर :

आंत्रिक ज्वर (टायफाइड) में अतिसार (दस्त) को तुरन्त बन्द करने के लिए रोगी बच्चे को कपूर की गोली खरल में पीसकर पानी के साथ सेवन कराने से लाभ होता है।

16. कमलगट्टे :

कमल गट्टे और इलायची को बराबर मात्रा में लेकर, कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को प्रतिदिन 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम शहद के साथ चाटने से आंत्रिक ज्वर (टायफाइड) में बहुत लाभ होता है।

17. संतरा :

टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज

नारंगी के प्रयोग से गर्मी, बुखार और अशान्ति दूर होती है। रोगी को दूध में नारंगी का रस मिलाकर पिलायें या दूध पिलाकर नारंगी खिलायें। दिन में कई बार नारंगी का सेवन कराना चाहिए। रोगी को नारंगी खिलाकर दूध पिलायें। इससे गर्मी कम होती है, पेशाब एवं मल खुलकर होता है।

18. सेब :

टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज

सेब का मुरब्बा 15-20 दिन खाते रहने से टायफाइड रोग में दिल की कमजोरी और दिल का बैठना ठीक हो जाता है।

19. केला :

टाइफाइड के मरीजों के लिए केला एक बहुत अच्छा आहार है इसे खाने से भूख प्यास काम लगती है

20. पोदीना :

पोदीना, रामतुलसी (छोटे और हरे पत्तों वाली तुलसी) और श्यामतुलसी (काले पत्तों वाली तुलसी) का रस निकालकर उसमें थोड़ा-सा शक्कर (चीनी) मिलाकर सेवन करने से टायफाइड (मोतीझारा) के रोग में लाभ होता है। यह भी टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज है जोकि बहुत ही कारगर है।

21. सौंठ :

3 ग्राम सौंठ को बकरी के दूध में पीसकर सगर्भा (गर्भवती) स्त्री को सेवन कराने से टाइफायड बुखार में लाभ होता है।

22. अनार :

Pomegranate

अनार के पत्तों के काढे़ में आधा ग्राम सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से आंत्रिकज्वर (टायफाइड) में लाभ होता है।

23. नमक :

एक चम्मच नमक को एक गिलास पानी में घोलकर दिन में 1 बार रोजाना पीने से आन्त्र ज्वर (टायफाइड) कम हो जाता है और धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।

24. तुलसी :

जावित्री को आधा से 1 ग्राम तक तुलसी के 10 पत्ते साथ पीसकर शहद के साथ चाटने से टायफाइड में लाभ मिलता है।
कालीतुलसी, बनतुलसी तथा पोदीना को बराबर मात्रा में लेकर 3 से 7 दिनों तक सुबह ,दोपहर और शाम को पीने से टायफाइड में लाभ मिलता है। यह भी टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज है जोकि बहुत ही कारगर है।

अधिक जानकारी लिए इस वीडियो को यूट्यूब पर देख सकते है जो आपकी बहुत मदद करेगी

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टाइफाइड बुखार होने के कारण

टाइफाइड बुखार दूषित पानी पीने की वजह से और बाहर का गंदा खाना खाने की वजह से होता है क्योंकि बाहर की ज्यादातर खाने की चीजें खुली हुई जगाहो पर मिलती हैं इन खुली हुई चीजों में मच्छर, मक्खियां बैठते हैं और उन में कितने बैक्टीरिया छोड़ देते हैं जिसकी वजह से बहुत सारी बीमारी फैलने का खतरा होता है

इस बीमारी के बैक्टीरिया किसी मरीज व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंच कर उन्हें भी मरीज बना सकते हैं खासकर छोटे बच्चे और जवान इस बीमारी से पीड़ित होते हैं जीवाणु शरीर के अंदर पहुंचकर इंटेस्टाइन में जहर फैलाकर टाइफाइड पैदा करते हैं बैक्टीरिया के जहर के असर से आंतो में जख्म हो जाते हैं ऐसी हालत में मरीज की शौच में खून आने लगता है और मरीज की तबीयत बहुत ज्यादा खराब होने की आशंका हो जाती है

यह बुखार बिना वक्त खाना खाने, देश विदेश में रुचि के विरुद्ध खाना, उपवास, मौसम में बदलाव और विषैली वस्तुओं का पेट में पहुंचना बहुत ज्यादा चिंता करना शॉक करना बहुत ज्यादा काम करना धूप और आग में बहुत देर तक काम करना आधी कारण हो सकते हैं

टाइफाइड के लक्षण

टाइफाइड में शरीर के विभिन्न अंगों में दर्द सर में दर्द कॉन्स्टिपेशन बेचैनी और बुखार के कम और ज्यादा होने के सिम्टम्स दिखाई देते हैं बिस्तर पर बहुत देर तक लेटे रहने से कमर में दर्द भी होने लगता है मरीज को रात में नींद भी नहीं आती है

पहले सप्ताह में बुखार 101 डिग्री से 102 डिग्री तक पहुंच जाता है और दूसरे सप्ताह में शरीर का तापमान 103 से 105 तक यानी हाई ग्रेड फीवर तक हो जाता है बुखार बहुत ज्यादा होने से मरीज के पेट में दर्द खांसी और बहुत ज्यादा प्यास लगती है मरीज को खड़े होने में चलने में बहुत दिक्कत होती है आंखों के सामने अंधेरा आने लगता है टाइफाइड बुखार में भोजन की लापरवाही या भूख ना लगने से मरीज को बहुत ज्यादा कमजोरी होने की वजह से मरीज की हालत बिगड़ जाती है और शरीर में कमजोरी आ जाने की वजह से मरीज की मृत्यु तक होने की संभावना हो सकती है

टाइफाइड के दूसरे सप्ताह में मरीज की छाती और पेट पर बहुत सारे छोटे छोटे दाने निकल आते हैं इन सफेद मोती जैसे दानों के कारण टाइफाइड को मोतीझरा भी कहते हैं यदि बुखार खत्म हो जाने के बाद भी पूरी तरह से दाने बाहर नहीं निकल पाते हो तो मरीज बहुत नुक्सान हो सकता है शरीर में बहुत ज्यादा थकावट बार-बार जमाई आना, आंखों में जलन और भूख ना लगना मरीज को कभी सर्दी कभी गर्मी लगना

जिसकी वजह से बार बार बुखार आना जोड़ों में दर्द होना, आंखों में लाली, आंखें भीतर की और धस जाना, कानों में दर्द, गले में कांटे से लगना यानी गले में खुश्की आ जाना खांसी, तेजी से सांस चलना, बेहोशी की हालत और मरीज इधर उधर की बातें करने लगना ,जीभ में खुदरा पन ,सर में बहुत तेजी वाला दर्द ,छाती में दर्द होना, पसीना नहीं आना, मल मूत्र का देर से आना और थोड़ी कम मात्रा में मल मूत्र निकलना

शरीर में बहुत ज्यादा कमजोरी शरीर पर गोल ब लाल चकत्ते से बन जाना, रोगी यानी मरीज के मुंह से बहुत कम आवाज निकलना ,कान नाक आदि का पक जाना, पेट का फूलना, दिन में गहरी नींद का आना , रात को नींद ना आना मरीज द्वारा उल्टी-सीधी हरकतें करना, आंखों के नीचे काले गड्ढे पड़ना बार-बार थूकना यह सारे टाइफाइड बुखार के लक्षण माने जाते हैं

टाइफाइड में परहेज

टाइफाइड बुखार में मरीज को बिना मसाले वाले भोजन, मूंग की दाल और हरी सब्जियां देनी चाहिए टाइफाइड बुखार से पीड़ित मरीज को पानी उबालकर देना चाहिए टाइफाइड बुखार के मरीज को बाहर से कोई भी खाना नहीं खिलाना चाहिए और तले हुए खानों का सेवन नहीं करना चाहिए ठंडा पानी या ठंडी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए

विभिन्न औषधियों से उपचार- यहाँ पर हम आपको 24 घरेलु इलाज (टाइफाइड को जड़ से खत्म करने का इलाज) बता रहे है अगर आप या आपके परिबार में कोई भी इस बिमारी से या टाइफाइड बुखार से पीड़ित है तो आप इन घरेलु इलाज को इस्तेमाल कर सकते हो ये सभी इलाज बहुत इफेक्टिव है

(नोट-इस पोस्ट में बताये गए सभी तरीके और नुस्खे सिर्फ लोगो को जागरूक करने के लिए है इनको इस्तेमाल करने से पहले एक बार किसी योग्य डॉक्टर या वैध से सलाह ले है।)

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